लम्बे इंतज़ार के बाद वह क्षण आ गया है! जब 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर की ऐतिहासिक “प्राण प्रतिष्ठा” का दिन है, यह दिन लाखों लोगों के दिलों में श्रद्धा का दिन है भोर की शांत शांति से लेकर आतिशबाजी की जीवंत चमक तक, अनुष्ठानों और उल्लास की एक श्रृंखला अयोध्या में भक्तों का इंतजार कर रही है। अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी की सुबह से रात तक का पूरा कार्यक्रम तैयार किया गया है। इस दिन देशभर से लाखों श्रद्धालु अयोध्या पहुंचेंगे और भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के साक्षी बनेंगे। आइए इस महत्वपूर्ण अवसर के लिए कार्यक्रम पर एक नज़र डालें:
प्रारंभिक दिन और दिव्य शुरुआत (5:00 बजे – 7:00 बजे):
मंगल प्रवेश: जैसे ही भोर की पहली किरणें आकाश को सुनहरे रंग से रंगती हैं, अस्थायी राम दरबार से गर्भगृह तक पवित्र देवताओं को ले जाने का जुलूस शुरू होता है। सड़कों पर “जय श्री राम” के नारे गूंजते हुए देखें, वातावरण भक्तिमय हो गया है।
सर्व दर्शन: यह विशेष दर्शन सत्र जल्दी उठने वालों को नव प्रतिष्ठित मूर्तियों की पहली झलक देता है। भगवान राम, सीता, लक्ष्मण और भरत की उज्ज्वल आभा में स्नान करने के लिए तैयार हो जाइए क्योंकि वे भव्य मंदिर में अपना उचित स्थान ले रहे हैं।
मध्य-सुबह की धुनें और अनुष्ठानिक भव्यता (सुबह 7:00 बजे – दोपहर 12:00 बजे):
अभिषेक और पूजन: प्रतिष्ठित पुजारियों द्वारा किए गए “अभिषेक” (पवित्र स्नान) और “पूजन” (पूजा) के भव्य अनुष्ठानों के साक्षी बनें। मंत्रों का लयबद्ध जाप और मंदिर की घंटियों की ध्वनि भक्ति की एक मंत्रमुग्ध कर देने वाली ध्वनि उत्पन्न करेगी।
महा आरती: जैसे ही घड़ी में दोपहर होती है, पवित्र “महा आरती” केंद्र में आ जाती है। अपने आप को सामूहिक श्रद्धा में डुबो दें क्योंकि सैकड़ों दीपक गर्भगृह को रोशन करते हैं, जिससे मंदिर में दिव्य प्रकाश की लहरें फैलती हैं।
दोपहर का अंतराल और सांस्कृतिक उत्सव (12:00 बजे – 5:00 बजे):
सत्संग और भजन: दोपहर के “सत्संग” सत्र के दौरान कुछ देर रुकें और चिंतन करें। प्रसिद्ध आध्यात्मिक राम के जीवन और शिक्षाओं की कहानियाँ बुनते हुए अपने ज्ञान और अंतर्दृष्टि को साझा करेंगे।
सांस्कृतिक प्रदर्शन: पारंपरिक नृत्य और संगीत प्रदर्शन के माध्यम से भारतीय संस्कृति की जीवंत कहानियों में डूब जाएं। प्रसिद्ध लोक कलाकार भरतनाट्यम, कथक और रामायण छंदों की भावपूर्ण प्रस्तुतियों के माध्यम से अपनी भक्ति व्यक्त करते हैं।
शाम के अंगारे और चमकदार उत्सव (5:00 बजे – 10:00 बजे):
संध्या दर्शन: जैसे ही सूर्य क्षितिज के नीचे डूबता है, “संध्या दर्शन” की अलौकिक चमक में स्नान करें। दीयों की हल्की झिलमिलाहट और भजन-कीर्तन शाम की पूजा के लिए एक शांत वातावरण तैयार करेंगे।
सांस्कृतिक परेड और जगमगाती सड़कें: सजी-धजी झांकियों, पारंपरिक नृत्य मंडलियों और जगमगाती झांकियों से चकाचौंध होने के लिए तैयार हो जाइए क्योंकि अयोध्या की सड़कें हर्षोल्लास से जीवंत हो उठती हैं।
चमकदार आतिशबाजी और ग्रैंड फिनाले (रात 10:00 बजे से): दिन का समापन आतिशबाजी के लुभावने प्रदर्शन के साथ होता है, जो रात के आकाश को चमकदार रंगों से रंग देता है। यह अंतिम कार्य उस खुशी, आशा और एकता का प्रतीक है जो राम मंदिर अनगिनत भक्तों के लिए दर्शाता है।
कार्यक्रम से परे:
हालाँकि यह कार्यक्रम आधिकारिक आयोजनों की रूपरेखा प्रस्तुत करता है, लेकिन “प्राण प्रतिष्ठा” का असली सार भक्ति की सामूहिक भावना में निहित है। पुष्पांजलि अर्पित करने वाले तीर्थयात्रियों से लेकर रामायण की कहानियाँ साझा करने वाले परिवारों तक, अयोध्या का हर कोना आध्यात्मिक उत्साह की एक अनूठी ऊर्जा से स्पंदित होगा।
Conclusion:
22 जनवरी का दिन इतिहास में दर्ज होने का वादा करता है, जो भक्ति, परंपरा और सांस्कृतिक भव्यता से बुना गया है। चाहे आप समारोहों को प्रत्यक्ष रूप से देखें या दूर से जश्न मनाएं, “प्राण प्रतिष्ठा” की भावना लाखों लोगों तक पहुंचेगी, जो अयोध्या की यात्रा और भारत की समृद्ध आध्यात्मिक विरासत में एक नया अध्याय जोड़ेगी।