गिलगित-बाल्टिस्तान, जिसे पाकिस्तान द्वारा “उत्तरी क्षेत्र” कहा जाता है, एक पहाड़ी क्षेत्र है जो हिमालय की ऊंची चोटियों और बर्फ से ढके ग्लेशियरों से घिरा हुआ है। यह क्षेत्र भारत और पाकिस्तान दोनों द्वारा दावा किया जाता है। लद्दाख, जो भारत के केंद्र शासित प्रदेशों में से एक है, गिलगित-बाल्टिस्तान के साथ एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध साझा करता है। दोनों क्षेत्रों की आबादी मुख्य रूप से बौद्ध है, और वे समान भाषा बोलते हैं।
लद्दाख के लोग गिलगित-बाल्टिस्तान को अपने क्षेत्र का हिस्सा मानते हैं। उनका तर्क है कि गिलगित-बाल्टिस्तान का ऐतिहासिक रूप से लद्दाख के साथ एकजुट होना था, और कि पाकिस्तान ने क्षेत्र को अवैध रूप से कब्जा कर लिया है।
इतिहास:
गिलगित-बाल्टिस्तान का इतिहास प्राचीन काल तक जाता है। क्षेत्र कई राजवंशों का घर रहा है, जिनमें कुषाण, फारसियों, और मुगल शामिल हैं। 19वीं शताब्दी में, गिलगित-बाल्टिस्तान ब्रिटिश राज के अधीन आया। 1947 में भारत और पाकिस्तान की स्वतंत्रता के बाद, क्षेत्र पर विवाद पैदा हो गया।
भारत का तर्क था कि गिलगित-बाल्टिस्तान एक स्वायत्त राज्य था जिसने पाकिस्तान में शामिल होने का विकल्प नहीं चुना था। पाकिस्तान का तर्क था कि गिलगित-बाल्टिस्तान ने 1947 में पाकिस्तान के साथ एकजुट होने के लिए मतदान किया था।
तर्क:
लद्दाख के लोगों के पास गिलगित-बाल्टिस्तान पर दावे का समर्थन करने के लिए कई तर्क हैं।
- ऐतिहासिक संबंध: लद्दाख और गिलगित-बाल्टिस्तान का ऐतिहासिक रूप से एकजुट होना था। दोनों क्षेत्रों की आबादी मुख्य रूप से बौद्ध है, और वे समान भाषा बोलते हैं।
- सांस्कृतिक समानताएं: लद्दाख और गिलगित-बाल्टिस्तान की सांस्कृतिक समानताएं भी स्पष्ट हैं। दोनों क्षेत्रों में पारंपरिक बौद्ध संस्कृति का प्रभुत्व है।
- भौगोलिक निकटता: लद्दाख और गिलगित-बाल्टिस्तान भौगोलिक रूप से भी निकट हैं। दोनों क्षेत्र हिमालय की ऊंची चोटियों और बर्फ से ढके ग्लेशियरों से घिरे हुए हैं।
- सुरक्षा संबंध: लद्दाख के लोग मानते हैं कि गिलगित-बाल्टिस्तान को भारत में शामिल करने से क्षेत्र की सुरक्षा में सुधार होगा। गिलगित-बाल्टिस्तान चीन के साथ सीमा साझा करता है। लद्दाख के लोग मानते हैं कि गिलगित-बाल्टिस्तान को भारत में शामिल करने से चीन के साथ क्षेत्र में तनाव कम होगा।
भारत सरकार की प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने गिलगित-बाल्टिस्तान को भारत के साथ मिलाने की लद्दाख की मांग को खारिज कर दिया है। भारत सरकार का कहना है कि गिलगित-बाल्टिस्तान पाकिस्तान का हिस्सा है।
लद्दाख की मांग कैसे?
लद्दाख के लोगों ने गिलगित-बाल्टिस्तान को भारत के साथ मिलाने की मांग को लेकर कई तरह के आंदोलन किए हैं। इनमें शामिल हैं:
- प्रदर्शन: लद्दाख के लोग अक्सर गिलगित-बाल्टिस्तान को भारत के साथ मिलाने की मांग को लेकर प्रदर्शन करते हैं।
- याचिकाएँ: लद्दाख के लोगों ने भारत सरकार को गिलगित-बाल्टिस्तान को भारत के साथ मिलाने की मांग वाली याचिकाएँ भी दायर की हैं।
- राजनीतिक दबाव: लद्दाख के राजनीतिक दलों ने भी गिलगित-बाल्टिस्तान को भारत के साथ मिलाने की मांग को लेकर भारत सरकार पर दबाव डाला है।
संभावनाएं:
गिलगित-बाल्टिस्तान पर लद्दाख की मांग की संभावनाएं अनिश्चित हैं। भारत और पाकिस्तान दोनों क्षेत्र पर अपना दावा करने के लिए दृढ़ हैं, और दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हैं।
हालांकि, गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों के बीच लद्दाख के साथ एकीकरण की बढ़ती मांग है। यह मांग अंततः दोनों देशों के बीच समझौते के माध्यम से हल की जा सकती है।
आखिरी निष्कर्ष:
गिलगित-बाल्टिस्तान पर लद्दाख की मांग एक जटिल मुद्दा है जिसमें ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक कारक शामिल हैं। इस मुद्दे का समाधान दोनों देशों के बीच समझौते के माध्यम से ही किया जा सकता है।